धनतेरस में विशेष मुहूर्त में करे भगवान धन्वंतरि की पूजा
कार्तिक
मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन से ही दीपावली
पर्व का शुरू हो जाता है. इस बार यह पर्व 9 नवंबर, सोमवार को
है. इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है. पूजन
के शुभ मुहूर्त सुबह 06:24 से 07:08 तक,
शाम 05:58 से रात 08:32 तक (प्रदोष
काल) और शाम 06:24 से रात 08:24
तक (वृषभ लग्न) है.
भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा का महत्व
धनतेरस
को भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है. पुराणों में लिखी कथा के अनुसार, देवताओं व दैत्यों ने जब
समुद्र मंथन किया तो उसमें से कई रत्न निकले. समुद्र मंथन के अंत में भगवान धन्वंतरि
अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. उस दिन कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी ही थी. तब
से इस तिथि को भगवान धन्वंतरि का प्रकटोत्सव मनाए जाने का चलन प्रारंभ हुआ.
पुराणों में धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना गया है.
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि पूजन विधि
सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. उसके बाद भगवान धन्वंतरि का आह्वान इस मंत्र से करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके बाद पूजा स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं. आचमन के लिए जल छोड़ें.
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