BIRTHDAY SPECIAL: 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे' रफी का 92 वां जन्मदिन
आज के दिन पूरा देश मोहम्मद रफी का जन्मदिन मनाता रहा है। अपने गानों से सबके दिलों में जगह
बनाने वाले मोहम्मद रफी को इस मौके पर गाना सुनते ही के गाए गीत 'तुम
मुझे यूं भुला न पाओगे' वाकई इस आवाज को कोई नहीं भुला सकता. ये वो आवाज है जिसने सबके दिलो-दिमाग पर
अपनी एक खास जगह बनाई है. ये आवाज है. मोहम्मद रफी की भारतीय
सिनेमा के वो गायक की. जिन्होंने
अपनी सुरीली आवाज से सबका मन मोह लिया. उनके गाए गीतों में आज भी वही ताजापन है.
रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर,
1924 को
अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था लेकिन जब रफी छोटे थे, तभी
उनका परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया था.
संगीतकार नौशाद ने उन्हें फिल्म 'पहले आप' में गाने का मौका दिया। साल 1946 में नौशाद के संगीत से सजी फिल्म 'अनमोल घड़ी' के गीत 'तेरा खिलौना टूटा' से रफी को पहली बार प्रसिद्धि मिली.'शहीद', 'मेला', और 'दुलारी' के
लिए भी रफी के गाए गीत खूब मशहूर हुए लेकिन 'बैजू बावरा' के
गीतों ने रफी को मुख्यधारा के गायकों में लाकर खड़ा कर दिया.
रफी को उनकी बेहतरीन गायकी के लिए छह बार
सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया. इसके अलावा साल
1965 में रफी पदमश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये.
मोहम्मद रफी, बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े प्रशंसक थे। साल 1980
में प्रदर्शित फिल्म ‘नसीब’ में रफी को अमिताभ के साथ युगल गीत ‘चल चल मेरे भाई’ गाने का मौका मिला. अमिताभ के साथ इस
गीत को गाने के बाद रफी बेहद खुश हुये थे। बताया जाता है कि 30 जुलाई 1980 को ”आस
पास” फिल्म के गाने ‘शाम क्यू उदास है दोस्त’ को
पूरा करने के बाद जब रफी ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से कहा कि ”शूड
आई लीव” जिसे सुनकर लक्ष्मीकांत प्यारे लाल भौचक्के रह गए, क्योंकि इससे पहले रफी ने उनसे कभी इस तरह की बात नही की थी। अगले
दिन 31 जुलाई 1980 को रफी को दिल का दौरा पड़ा और वो इस दुनिया को अपने सुरीले
गानों और अपनी यादों के साथ छोड़कर चले गये।
No comments:
Post a Comment