संघर्षो से भरा रहा पूर्व PM लाल बहादुर शास्त्री का सफर
भारत के पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का जन्म आज के दिन 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था. देश की राजनीति में सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के पर्याय माने जाने वाले स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री का समूचा जीवन इस बात की जीवंत मिसाल है कि कैसे नितांत विपरीत स्थितियों में भी अपने मूल्यों व नैतिकताओं से विचलित हुए बिना अपनी खुदी को इतना बुलंद किया जा सकता है कि देश की जरूरत के वक्त उसकी नेतृत्व कामना को भरपूर तृप्त किया जा सके.
दुख की बात है कि 11 जनवरी 1966 में दारुण मौत ने उन्हें पीएम के रूप में सिर्फ 18 महीनें ही दिए लेकिन इस छोटी-सी अवधि में ही, खासकर 1965 में पाकिस्तान के हमले के वक्त अपने कुशल नेतृत्व व दूरदर्शी फैसलों से उन्होंने जैसी अमिट छाप छोड़ी, वह देशवासियों के दिल व दिमांग पर अभी भी ताजा है.
लाल बहादुर शास्त्री की परिवारिक सफर
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय में 'मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव' के यहां हुआ था. इनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे. इनके मां का नाम 'रामदुलारी' था. ऐसे में सब उन्हें 'मुंशी जी' ही कहते थे. बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी कर ली थी.
परिवार में सबसे छोटा होने के कारण लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से 'नन्हे' कहकर ही बुलाया करते थे. जब नन्हे अठारह महीने के हुए तब दुर्भाग्य से उनके पिता का निधन हो गया. उनकी मां रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्जापुर चली गईं. कुछ समय बाद उसके नाना भी नहीं रहे. बिना पिता के बच्चे नन्हे की परवरिश करने में उसके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी मां का बहुत सहयोग किया.
ननिहाल में रहते हुए उसने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की. उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही शास्त्री जी ने अनपे नाम के साथ जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया.
शास्त्री जी का राजनीति सफर
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भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया. परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी. पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया. 1951में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये. उन्होंने 1952, 1957, व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया.
साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी बने भारत के PM
जवाहर लाल नेहरू का उनके पीएम के कार्यकाल के दौरान 27 मई 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का पीएम बनाया गया. उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के पीएम का पद भार ग्रहण किया.
उनके शासनकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया. इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था. शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी. इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी. https://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=3123044674720877433#editor/target=post;postID=495654460070250196ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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