Wednesday, 14 October 2015




जानिए बॉलीवुड में पद्म भूषण से सम्मानित अशोक कुमार का सफर


पद्म भूषण से सम्मानित जाने-माने अभिनेता अशोक कुमार का जन्‍मदिन 13 अक्‍टूबर 1911 को भागलपुर, बिहार के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था. उन्‍होंने कई हिट फिल्‍म दिए और दर्शकों को अपने अभिनय से आकर्षिक कर लिया.
उन्‍होंने बतौर अभिनेता फिल्‍म 'जीवन नैया' से बॉलीवुड में डेब्‍यू किया था. इन्‍हें एक्टिंग के साथ-साथ पेटिंग का भी शौक था. अशोक कुमार ने फिल्म 'अछूत कन्‍या', 'मिली', 'बंदिनी', 'जेवेल थीफ', 'खूबसूरत' और 'पाकीजा' जैसे हिट फिल्‍मों में नजर आये थे.

जानिए अशोक कुमार के बारे में कुछ खास बातें

Ø अशोक कुमार बॉलीवुड में दादा मुनि के नाम से जाने जाते हैं.  अशोक कुमार के पिता कुंजलाल गांगुली पेशे से वकील थे. उन्‍होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की थी और बाद मे उन्होंने स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की.

Ø अशोक कुमार अभिनेता नहीं बल्कि निर्देशक बनना चाहते थे. अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े अशोक कुमार को बचपन से ही फिल्‍मों में काम करके बुलंदियों पर पहु्ंचने की लालसा थी. 

Ø वर्ष 1937 मे अशोक कुमार को बांबे टॉकीज के बैनर तले प्रदर्शित फिल्म 'अछूत कन्या' में काम किया. इस फिल्‍म में उन्‍होंने एक बार फिर अपनी पहली फिल्‍म 'जीवन नैया' की कोस्टार देविका रानी के साथ स्‍क्रीन शेयर किया.

Ø इसके बाद उन्होंने वर्ष 1939 मे प्रदर्शित फिल्म 'बंधन', 'कंगन',  और झूला में अभिनेत्री लीला चिटनिश के साथ काम किया. इन फिल्‍मों से उन्‍होंने दर्शकों से खूब तारीफें बटोरी. 

Ø 1943 में अशोक कुमार ने बांबे टाकीज की एक और फिल्म 'किस्मत' में काम किया. इस फिल्‍म ने उनकी किस्‍मत पलट कर रख दी. इस फिल्म मे उन्होंने पहली बार एंटी हीरो की भूमिका निभाई और दर्शको का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने मे सफल रहे. किस्मत ने बॉक्स आफिस के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए कोलकाता के चित्रा सिनेमा हॉल में लगभग चार वर्ष तक लगातार चलने का रिकार्ड बनाया.

Ø अशोक कुमार को फिल्‍म 'राखी' (1962) और 'आर्शीवाद' (1968) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया. वहीं वर्ष 1966 में आई फिल्म 'अफसाना' के लिए सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर अवॉर्ड से भी नवाजे गये.

Ø अशोक कुमार को हिन्दी सिनेमा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ठ सहयोग के लिए वर्ष 1988 में हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अशोक कुमार 10 दिसंबर 2001  में इस दुनियां को अलविदा कह गये. 

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